भागलपुर: इतिहास और स्थापना की कहानी
भागलपुर, जिसे "सिल्क सिटी" के नाम से जाना जाता है, बिहार का एक प्रमुख ऐतिहासिक और सांस्कृतिक जिला है। इसकी स्थापना और ऐतिहासिक महत्व को लेकर कई दस्तावेज और कहानियां जुड़ी हुई हैं।
पश्चिम बंगाल के अभिलेखागार में मौजूद दस्तावेजों के अनुसार, 4 मई 1773 को भागलपुर को एक जिला घोषित किया गया था। ब्रिटिश शासन के दौरान इसे प्रशासनिक और व्यापारिक दृष्टिकोण से एक महत्वपूर्ण स्थान माना गया। भागलपुर का चयन इसलिए किया गया क्योंकि यह गंगा नदी के किनारे स्थित है, जो उस समय व्यापार और यातायात का मुख्य माध्यम थी।
इतिहास में भागलपुर
भागलपुर का इतिहास प्राचीन काल से शुरू होता है। यह क्षेत्र अंग महाजनपद का हिस्सा था, जो महाभारत के समय का एक समृद्ध राज्य था। अंगराज कर्ण का शासन यहीं से था, जो इसे ऐतिहासिक रूप से गौरवशाली बनाता है।
भागलपुर की जमीन पर विभिन्न सभ्यताओं का प्रभाव देखा गया है:
1. मौर्य और गुप्त साम्राज्य: इन साम्राज्यों के दौरान भागलपुर कला, संस्कृति और शिक्षा का केंद्र बना।
2. पाल वंश: पाला राजाओं के समय यह क्षेत्र बौद्ध धर्म और विश्वविद्यालयों के लिए प्रसिद्ध था।की
भागलपुर प्रमुख विशेषताएं
1. सिल्क उद्योग: भागलपुर सिल्क अपने उत्कृष्ट गुणवत्ता के लिए दुनियाभर में प्रसिद्ध है।
2. अध्यात्म और धार्मिकता: यहां का विक्रमशिला विश्वविद्यालय प्राचीन समय में बौद्ध धर्म का एक महत्वपूर्ण केंद्र था।
3. गंगा नदी का महत्व: गंगा नदी के किनारे स्थित होने के कारण भागलपुर का धार्मिक, आर्थिक और सामाजिक महत्व हमेशा बना रहा है।
आज
का भागलपुर
आज भागलपुर एक प्रमुख शैक्षिक और व्यापारिक केंद्र है। यहां के लोग अपनी सांस्कृतिक धरोहर पर गर्व करते हैं और यह क्षेत्र बिहार के विकास में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
भागलपुर का गौरवशाली इतिहास इसे एक विशेष स्थान बनाता है।
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